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*चार धाम से कम नहीं हमारा पचनद धाम* *पंचनद दीप महापर्वः*

 वीरेंद्र सिंह सेंगर की खास रिपोर्ट

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*चंबल परिवार का ऐतिहासिक आयोजन151 फीट तिरंगे से चंबल अंचल के रणबांकुरों को दी गई सलामी*


-दीप जलाकर पंचनद तट को किया गया रोशन


*चंबल परिवार द्वारा किए जा रहे इन तमाम आयोजनों से चंबल वैली पंचनद धाम को शीघ्र विकास की ओर बढ़ने का मिलेगा मौका*


 


आजादी के बड़े आंदोलन में क्रांतिकारियों और बुद्धिजीवियों की सरजमीन रही चंबल वैली और पंचनद घाटी में चंबल परिवार ने ऐतिहासिक आयोजन कर अपने लड़ाका पुरखों का स्मरण किया,सिंध,पहुंज,क्वांरी, चंबल और यमुना के पवित्र और अनोखे संगम पर पर ‘पंचनद दीप महापर्व’ के तीसरे संस्करण का यादगार आयोजन किया गया। चंबल घाटी के क्रांतियोद्धाओं को 151 फिट राष्ट्रीय झंडा तिंरगे से सलामी दी गई। जिसमें इटावा, जालौन, औरैया, भिन्ड, बाह, ग्वालियर के निवासी बड़े पैमाने पर श्रद्धा सुमन देने पहुंचे। पंचनद दीप महापर्व में अतिथि के तौर पर चंबल घाटी के सरदार भगत सिंह के नाम से सुविख्यात शहीद डॉ. महेश सिंह चौहान के अनुज इतिहासकार देवेन्द्र सिंह चौहान, सामाजिक विचारक और पूर्व आईपीएस अधिकारी चेतराम सिंह भदौरिया, क्रांतिकारी लेखक डॉ. शाह आलम राना, रिटायर्ड डीएसपी हाकिम सिंह यादव रहे। संचालन चंबल पर्यटन नोडल अधिकारी डॉ. कमल कुमार कुशवाहा ने किया।  


स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की शरण स्थली रही महाकालेश्वर धाम से 151 फिट तिरंगे के साथ क्रांतिवीरों को सलामी देने बच्चों, युवाओं, महिलाओं, बड़े-बुजुर्गों का हुजूम उमड़ पड़ा,गगनभेदी नारों के साथ यात्रा आगे बढ़ी जिसका जगह जगह फूल मालाओं से जोरदार स्वागत किया  मार्च का नेतृत्व चंबल परिवार समन्वयक वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता वीरेन्द्र सिंह सेंगर ने किया, जिन्होंने हमेशा से ही चंबल वैली पंचनाथ धाम के लिए लिखकर इसे विश्व स्तर तक पहचान दिलाने का कार्य किया और आज भी इसी कार्य में दिन-प्रतिदिन लगे हुए हैं जिसके कारण आज इस क्षेत्र में तरह-तरह के चंबल परिवार द्वारा आयोजन किए जा रहे हैं जिनमें लोगों की भागीदारी बढ़ रही है ।












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