राजदीप सरदेसाई, आशुतोष, राघव बहल, हर्ष चावला और अरुणोदय मुखर्जी आज गाजियाबाद की एक कोर्ट में एक साथ पेश हुए. नीति टंडन और जमशेद खान कोर्ट में पेश नहीं हुए जिससे जज ने इनकी फाइल अलग करते हुए बाकी सभी के केस को आगे बढ़ा दिया है.
डाक्टर अजय अग्रवाल के खिलाफ झूठी खबर दिखाने के इस पुराने केस में जल्द फैसला आने की उम्मीद है. ये पत्रकार हाईकोर्ट भी गए थे जहां अदालत ने कह दिया कि इन आरोपियों पर माहानि का मामला बनता है.
ज्ञात हो कि डाक्टर अजय अग्रवाल के खिलाफ वर्ष 2006 के जुलाई महीने में तत्कालीन आईबीएन7 चैनल (अब नेटवर्क18इंडिया) पर एक झूठा स्टिंग चलाया गया जिसमें आरोप लगाया गया कि डाक्टर अजय अग्रवाल अस्पताल में भर्ती गरीब लोगों की टांग काटकर उन्हें भिखारी बना देते हैं और इस तरह वे भिखारी बनाने वाले रैकेट के हिस्से होकर काफी पैसे कमा रहे हैं. डाक्टर अजय अग्रवाल तब गाजियाबाद के सीएमओ हुआ करते थे.
बताया जाता है स्टिंगबाज जमशेद खान ने उगाही-ब्लैकमेलिंग में सफल न हो पाने की कुंठा में डाक्टर अजय अग्रवाल का शिकार किया और फर्जी खबर तैयार कर आईबीएन7 चैनल के वरिष्ठों के पास भेज दिया. वरिष्ठों ने भी बिना दिमाग अप्लाई किए इस स्टिंग को बेहद प्रमुखता से चला दिया. एक डाक्टर और उनके परिवार का जीवन दांव पर लग गया. लोग इनके घर पर पत्थर मारने-फेंकने लगे. कई किस्म की विभागीय जांच बैठी. हर जांच में डाक्टर अजय अग्रवाल बाइज्जत बरी हुए.
डाक्टर अजय अग्रवाल ने फर्जी खबर चलाने वालों को सबक सिखाने का फैसला किया. आरोपी मुकदमों से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन अजय अग्रवाल उनका पीछा करते रहे और हर जगह साबित किया कि कैसे इन मीडिया वालों ने फेक न्यूज बना दिखा कर उनके जीवन को बर्बाद कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने डाक्टर अजय अग्रवाल का पक्ष सुनने के बाद इन मीडियाकर्मियों को गाजियाबाद कोर्ट में सरेंडर करने को कहा था.
डेढ़ दशक से ज्यादा समय से कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते लगाते डाक्टर अजय अग्रवाल अब रिटायर हो गए हैं लेकिन इन बड़े मीडियाकर्मियों के खिलाफ अपने केस की पैरवी करना नहीं भूलते.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने आरोपियों को निर्देशित किया कि गलत खबर चलाने का खंडन लगातार तीन दिन तक चैनल पर दिखाएं. इस आदेश के खिलाफ ये मीडिया वाले दिल्ली हाईकोर्ट गए जहां साबित हुआ कि स्टिंग फर्जी और मनगढ़ंत था. इसके बाद डाक्टर अजय अग्रवाल ने सभी 9 मीडियाकर्मियों पर मानहानि का केस दायर कर दिया. इन सभी को मानहानि का दोषी पाया गया है.
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों जगह मात खाने के बाद सभी आरोपी अब लोअर कोर्ट में चल रही सुनवाई के हिस्से हैं. इनके कई बार पेश न होने पर कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए कह दिया था कि अगर ये लोग इस बार नहीं आए तो सबकी जमानत कैंसल कर दी जाएगी. इसके बावजूद सात में से केवल पांच आरोपी आज पेश हुए. इसी कारण जज ने दो गैर हाजिर आरोपियों की फाइल को अलग कर दिया है.